Thursday 22 June 2017

वो माँ हैं।

मेरे आँसु को भी मुस्कुराहट में तब्दील कर देतीं,
वो माँ हैं, मैंने बेइंतिहा ग़म में भी उन्हें कभी मायूस नही देखा।

मेरी नाकामियों पर भी मुझसे नाउम्मीद नही होतीं,
वो माँ हैं, मैंने ज़िन्दगी की आज़माइश में उन्हें कभी थकते नहीं देखा।

मेरी नासमझ नाराज़गी पर भी मुझसे कभी ख़फ़ा नहीं होतीं,
वो माँ हैं, मैंने दिल टूटने पर भी उन्हें कभी शिकायत करते नहीं देखा।

मेरी हल्की सी ख़रोंच पे भी परेशां हो जातीं,
वो माँ हैं, मैंने बेहद दर्द में भी उन्हें कभी रोते नहीं देखा।

मेरे खवाबों को अपनी ज़िंदगी का मक़सद बनातीं,
वो माँ हैं, मैंने ख़ुद के लिए उन्हें कभी कोई ख़्वाहिश करते नहीं देखा।

वो माँ हैं.....

© Sheerin Naz.

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